नींद हमारे लिए क्यों जरुरी है।

नींद हमारे लिए क्यों जरुरी है।



नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है हमारे नए टॉपिक पर। आपको जानकर हैरानी होगी की पूरी दुनिया इस वक़्त नींद की कमी से जुज रही है। कुदरत की तरफ से दी गई यह सहूलियत अब लक्ज़री होती जा रही है। यानि आप 8 से 9 घंटे भी पूरी नींद ले रहे है तो आप दुनिया के सबसे खुशकिस्मत लोगो में से एक है। लेकिन हमें यकीन है की आप में बहुत से ऐसे भी होंगे जिन्हे पूरी नींद नहीं मिल पा रही है। नींद की कमी से संघर्ष कर रहे लोगो को आज का हमारा टॉपिक जरूर पसंद आएगा। क्यूंकि ये आपके सेहत से जुड़ा है।

नींद से जुड़े रिसर्च के अनुसार। 


पूरी दुनिया के लोग पर्याप्त नींद ले रहे है की नहीं यह जानने के लिए विज्ञानिको ने एक मोबाइल एप की मदद से दुनिया के 100 अलग-अलग देशो में रहने वाले 6000 लोगो पर एक रिसर्च किया। इस रिसर्च के दौरान लोगो के नींद की आदत की जाँच की गई। और जांच में पाया गया की पूरी दुनिया के लोग पहले के मुकाबले अब कम नींद ले रहे है।

1. इस रिसर्च में पाया गया की स्पेन के लोग सबसे ज्यादा देर से सोने जाते है। स्पेन के लोगो का सोने का औसतन समय रात 11:45 pm है।

2. ऑस्ट्रेलिया के लोग पूरी दुनिया में सबसे जल्दी यानि 10:45 pm पर सोने के लिए चले जाते है।

3. नीदरलैंड के लोग पूरी दुनिया के मुकाबले सबसे ज्यादा देर तक सोते है रिसर्च में यहाँ के नागरिक की नींद 8 घंटे 12 मिनट दर्ज की गई। जो सबसे ज्यादा है।

4. जापान और सिंगापूर के लोग पूरी दुनिया में कम सोते है वहाँ के लोगो का सोने का औसतन वक़्त 7 घंटे 24 मिनट है

5. सऊदी अरब में रहने वाले लोग सबसे देर से उठते है। सऊदी अरब में बिस्तर से उठने का औसतन वक़्त सुबह के 7:45 है जबकि अमेरिका के लोग पूरी दुनिया के मुकाबले सबसे जल्दी उठते है। वहाँ के लोगो का उठाने का औसतन वक़्त सुबह के 6:45 am का है।


भारत में सर्वे के अनुसार। 


सन 2015 में भारत के लोगो के नींद लेनी की आदतों पर एक रिसर्च किया गया। और इस सर्वे में पता चला की भारत के 99% लोग ठीक से नहीं सो पाते है।

1. इस सर्वे में 72%लोगो ने माना की वह रात में 3 से 4 बार उठते है।

2. इस सर्वे में 87% लोगो ने कहा की कम नींद लेने की वजह से उनके सेहत पर काफी असर पड़ रहा है।

3. सर्वे में 57% भारतीय लोगो ने कहा की नींद कम लेने की वजह से उनके काम में प्रभाव पड़ता है।


विज्ञानिको का मानना है की 24*7 का लाइफ स्टाइल यानि 24 घंटे और सातो दिन काम करने का लाइफ स्टाइल। देर रात तक मोबाइल का इस्तेमाल अलग अलग शिफ्ट में काम करने की मज़बूरी और जिंदगी की रेस में दुसरो से आगे निकलने की जिद में पूरी दुनिया में नींद का एक बड़ा संकट पैदा कर दिया है।

साल 1950 में दुनिया के लोग औसतन 8 घंटे की नींद लिया करते थे। जबकि 2013 आते-आते दुनिया के लोगो की औसतन नींद 6:30 घंटे हो गई है।


नींद कुदरत का वरदान है। 


नींद अच्छी सेहत के लिए कुदरत का दिया गया सबसे अच्छा तोफा है। सबसे बड़ा वरदान है। विज्ञानिको के अनुसार पहले इंसानो के पूर्वज पेड़ो पर रहा करते थे। और नीची गिरने की डर से उनकी नींद कच्ची रहती थी। लेकिन आज से करीब 20 लाख वर्ष पहले इंसानो ने जमीन पर सोना सुरु किया और तभी से बिस्तर पर सोने की शुरुवात हुई। गिरने का डर खत्म होने की वजह से इंसानो की नींद लम्बी होने लगी और इंसानो को गहरी नींद भी आने लगी। 

विज्ञानिको की मुताबिक सोने के बाद दिमाग काम करना बंद नहीं करता है बल्कि और ज्यादा सक्रीय हो जाता है। नींद के दौरान इंसानी दिमाग साफ-सफाई करने वाली अवस्था में चला जाता है दिन भर काम करने की वजह से शरीर और दिमाग में कई तरह के waste product पैदा होते है। जो दिमाग पर जोर डालते है। नींद के दौरन दिमाग इन waste product को बाहर कर देता है हमारी आखो के ठीक पीछे चावल के दानो के आकर की कोशिकावो का एक समूह होता है। जो बाहर के रौशनी के हिसाब से अंदाजा लगाती है की सोने का वक़्त हुआ है की नहीं। 

हम ऐसे दौर में आ चुके है की जब भारत और पूरी दुनिया के लोगो को नींद का महत्व अब पहचानना होगा। अगर हम नींद को इसी तरह हलके में लेते रहे तो आने वाले समय में हमें बहुत परेशानी होने वाली है। जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते है। 

धन्यवाद् 

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